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Rajayoga shivir Day Two Dt.28042016
प्रेस विज्ञप्ति
परमात्मा नाम और रूप से न्यारे नहीं हैं किन्तु
उनका नाम और रूप सबसे न्यारा है …. ब्रह्माकुमारीविद्या दीदी
उज्जैन, २८ अप्रैल: परमात्मा नाम और रूप से न्यारा नहीं है किन्तु उसका नाम और रूप सबसे अलग हटकर अर्थात न्यारा है। सदैव कल्याणकारी होने के फलस्वरूप उनका कर्तव्यवाचक नाम शिव है । अजन्मा और अभोक्ता होने के कारण उन्हें अशरीरी कहा गया है। हम शरीरधारियों की भेंट में उन्हें निराकार कहा जाता है। उनका दिव्य रूप चमकते हुए सितारे के रूप में अतिसूक्ष्म ज्योतिस्वरूप है।
यह विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी विद्या बहन ने सत्यम शिवम सुंदरम आध्यात्मिक मेले मेें आयोजित राजयोग अनुभूति शिविर में व्यक्त किए। वह आज परमात्मा की पहचान तथा उनका दिव्य अवतरण कब, क्यों और कैसे विषय पर प्रवचन कर रही थीं। उन्होने कहा कि परमात्मा का सत्य परिचय न होने के कारण लोग यहॉं-वहॉं भटक रहे हैं। लोगों की इसी अज्ञानता का फायदा उठाकर मनुष्यों ने स्वयं को भगवान कहलाना प्रारम्भ कर दिया है। उन्होने बतलाया कि एक सर्वेक्षण के अनुसार इस समय दुनिया में तीन सौ से भी ज्यादा तथाकथित भगवान हैं।
ब्रह्माकुमारी विद्या बहन ने आगे कहा कि सभी धर्मों के लोग कहते हैं कि परमात्मा एक है लेकिन उनके परिचय के बारे में बहुत मतान्तर हैं। उन्होने परमात्मा का परिचय देते हुए बतलाया कि हिन्दु धर्म में परमात्मा शिव की निराकार प्रतिमा सारे विश्व में शिवलिंग के रूप में देखने को मिलती है, ज्योतिस्वरूप होने के कारण उन्हें ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। मुस्लिम धर्म के अनुयायी उन्हे नूर-(अर्थात ज्योति)-ए-इलाही, इसाई धर्म को मानने वाले परमात्मा को दिव्य ज्योतिपुंज मानते हैं, सिख धर्म के अनुगामी उन्हे एक ओंकार निराकार कहकर उनकी महिमा करते हैं। अगर लोगों को यह सही ज्ञान हो जाए कि शिवलिंग स्वयं परमपिता परमात्मा का प्रतीक चिन्ह है तो इस देश में शैव और वैष्णव सम्प्रदाय के बीच कभी झगड़ा नहीं होता तथा परमात्मा के बारे में परस्पर वैचारिक भिन्नता नही होती और सभी लोग ईश्वर स्नेही और विश्व कल्याण के कार्य में भागीदार होते।
ब्रह्माकुमारी विद्या बहन ने बतलाया कि परमात्मा तीन देवताओं ब्रह्मा, विष्णु और शंकर की रचना कर उनके द्वारा नयी सतोप्रधान दुनिया की स्थापना, पालना और पुरानी तमोप्रधान दुनिया का संहार का कार्य कराते हैं। तीन देवताओं का रचयिता होने के कारण उन्हें त्रिमूर्ति कहा जाता है। इसीलिए शिवलिंग के ऊपर तीन रेखाएं खींचते तथा तीन पत्तियों वाला बेलपत्र चढ़ाते हैं। परमात्मा सुख, शान्ति, आनन्द और प्रेम के भण्डार हैं, इसलिए उनका सही परिचय जानकर उनके साथ योग लगाने से ही हमारे जीवन में पवित्रता, सुख और शान्ति आएगी।अन्त में उन्होने संगीतमय कमेन्ट्री के द्वारा सभी को राजयोग का व्यावहारिक अभ्यास कराया।
मनुष्य के अंदर जो शक्तियां हैं वही मार्ग दर्शन करती हैं– बहन शिवांगी नंद गिरि
सत्यम शिवम सुन्दरम मेले में चैतन्य जगदम्बा मां के दरबार का आज शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन कर पंचदशनाम जुना अखाड़ा ऋषिकेश से आयीं महामण्डलेश्वर शिवांगी नंद गिरि के द्वारा किया गया। उन्होंने अपने आशीर्वचन में भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि चैतन्य देवियां की झांकी को देखकर अद्भुत शक्तियों का अनुभव हो रहा है। मनुष्य के जीवन में जो शक्तियां हैं वही उसे शक्ति प्रदान करती हैं। समाज में माताओं का स्थान सर्वश्रष्ठ है। वे ही श्रेष्ठ संस्कारों की जननी हैं। उन्हीं से जीवन का मार्गदर्शन प्राप्त होता है। महाकुम्भ के माध्यम से हम अपने अन्दर की शक्तियों को जागृत करते हैं। हम सभी सौभाग्यशाली हैं जो हमें मातारानी के दरबार से आर्शीवाद प्राप्त करके शक्तियों को अर्जित करने का अवसर मिला है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों से अपने पण्डाल में होने वाले 1008 कुण्डीय यज्ञ में शामिल होने के लिये सभी भक्तजनों को निमन्त्रण दिया। उन्होंने सत्यम शिवम सुन्दरम मेले का अवलोकन कर आम जनता को इससे लाभ लेने के लिये आव्हान भी किया।
प्रेषक: मीडिया प्रभाग,
सत्यम शिवम सुन्दरम मेला, प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज,
उज्जैन फोन: ९४२५५-१९५१४
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