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1.कला और अध्यात्म का निकट का सम्बन्ध … फिल्म अभिनेत्री ग्रेसी सिंह/ 2.परमात्मा उसे कहेंगे जो कि सर्व को मान्य हों… ब्रह्माकुमारी समिता दीदी/ 3.भटकते मनुष्यों को ब्रह्माकुमारी बहनें राह दिखा रही हैं: स्वामी राम दिनेशाचार्य जी
प्रेस विज्ञप्ति १:
फिल्म अभिनेत्री ग्रेसी सिंह ने मेला देखा
कला और अध्यात्म का निकट का सम्बन्ध … फिल्म अभिनेत्री ग्रेसी सिंह
उज्जैन, १६ मई: जानी मानी फिल्म अभिनेत्री ग्रेसी सिंह ने कहा कि उनके अन्दर जो भी कला है, वह परमात्मा की ही देन है। कला और अध्यात्म का परस्पर निकट सम्बन्ध है। यह दोनों ही परमात्मा से जुड़े हुए हैं। जब वह कला का प्रदर्शन करती हैं तो उन्हें ऐसा महसूस होता है कि परमात्मा स्वयं ही उनसे करवा रहे हैं।
सुश्री ग्रेसी सिंह आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सिंहस्थ में दत्त अखाड़ा क्षेत्र में बडऩगर रोड पर लगाए गए सत्यम शिवम सुन्दरम मेले का अवलोकन करने के बाद अपने विचार रख रही थीं। उन्होंने आगे कहा कि मेला देखकर बहुत अच्छा लगा। विशेषकर समुद्र मंथन का दृश्य बहुत ही प्रभावशाली बन पड़ा है। उन्होंने बतलाया कि वह पिछले तीन वर्षों से राजयोग का अभ्यास कर रही हैं। इससे उन्हें परमात्मा की निकटता का अनुभव होता है।
उन्होंने ब्रह्माकुमारी बहनों के त्याग और तपस्या की सराहना करते हुए कहा कि इनसे मिलकर एक नई प्रेरणा और मार्गदर्शन मिलता है। वह दुनिया भर में अनेक महत्वपूर्ण लोगों से मिल चुकी हैं किन्तु जो दिव्य आभा बहनों के चेहरे में दिखाई देती है, वह उन्हें अन्यत्र और कहीं दिखाई नहीं देती है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि हमारी जो राजयोग मेडिटेशन की भारतीय संस्कृति सदियों से चली आ रही है, उसे सभी जरूर अपनाएँ। इससे जीवन में खुशी और शान्ति मिलेगी।
प्रेस विज्ञप्ति २:
परमात्मा उसे कहेंगे जो कि सर्व को मान्य हों… ब्रह्माकुमारी समिता दीदी
उज्जैन, १६ मई: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र बडऩगर रोड में आयोजित राजयोग अनुभूति शिविर में ब्रह्माकुमारी समिता दीदी ने कहा कि परमात्मा उसे कहेंगे जो सर्वमान्य हो। सर्वज्ञ हो और जो सबके माता-पिता हों अर्थात उसका अपना कोई माता-पिता न हो।
ब्रह्माकुमारी समिता दीदी ने बतलाया कि आज परमात्मा के बारे में सर्वाधिक मत विभिन्नता देखने को मिलती है। सभी धर्म के लोग कहते हैं कि परमात्मा एक है लेकिन जब परिचय देने की बात होती है तो उसमें सभी लोग अलग-अलग परिचय देते हैं। इसीलिये धर्म जो कि लोगों को जोड़ती थी। वह अनेक मत-मतान्तर होने के कारण लड़ाई का कारण बन चुका है।
वर्तमान समय पर परमात्मा स्वयं अवतरित होकर अपना परिचय दे रहे हैं कि वह शरीर से न्यारे निराकार ज्योतिस्वरुप बिन्दु रूप हैं। उनका कर्तव्य वाचक नाम शिव है जिसका अर्थ कल्याणकारी होता है। चूंकि वह सदैव कल्याणकारी हैं इसलिये उन्हें सदाशिव भी कहते हैं। परमात्मा के इस रूप को सभी धर्म की आत्माओं ने भी स्वीकार किया है। परमात्मा के ज्योतिस्वरूप होने कारण ही शिवलिंग को ज्यातिर्लिंग भी कहते है। हर एक महत्वपूर्ण अवसरों पर दीपक या ज्योति जलाने की प्रथा है। जो कि परमात्मा की ही यादगार है।
उन्होंने कहा कि परमात्मा की सत्य पहचान न होने के कारण ही आज हम सुख-शांति के भिखारी बन चुके हैं जबकि हमारे पिता परमात्मा सुख-शांति के सागर हैं। इसका कारण है कि हमारा संबंध परमात्मा से टूटा हुआ है। उनके सत्य परिचय को जानकर जब हम उनसे अपना संबंध जोड़ते हैं तब हम सुख-शांति के अधिकारी बन जायेंगे।
प्रेस विज्ञप्ति ३:
भटकते मनुष्यों को ब्रह्माकुमारी बहनें राह दिखा रही हैं: स्वामी राम दिनेशाचार्य जी
उज्जैन, १६ मई: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सिंहसथ में दत्त अखाड़ा क्षेत्र में बडऩगर रोड पर लगाए गए सत्यम शिवम सुन्दरम मेले का अवलोकन करने के लिए श्री हरिधामपीठ अयोध्या के स्वामी रामदिनेशाचार्य पधारे।
स्वामी रामदिनेशाचार्य ने मेला देखने के बाद कहा कि सूर्य जब सिंह राशि पर स्थित होता है, तब १२ वर्षों के बाद सिंहस्थ होता है। सिंहस्थ में अभी अमृत योग चल रहा है। अमृत सारे विश्व में व्याप्त है। किन्तु मनुष्य अपने दुर्गुणों के कारण अमृतपान नहीं कर पाते। यहाँ महाकाल की नगरी में आकर दुर्गुणों का परित्याग करके अमृतपान करते हैं। ब्रह्माकुमारीज के द्वारा भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में आत्मा और परमात्मा का परिचय देकर संतप्त जीवों को जो कि भटकाव की स्थिति में हैं और पतन की ओर अग्रसर हैं। ऐसे जीवों को परमात्मा से जोडऩे का बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हैं। साथ ही सत्यम शिवम सुन्दरम मेले के माध्यम से इस धरती को फिर से सुख शान्ति सम्पन्न बनाने का कार्य ब्रह्माकुमारी बहनें कर रही हैं।
उन्होंने पूरे विश्व को मानवता का सन्देश देते हुए कहा कि परमात्मा एक है। मानवता की सेवा करना आ जाएगा तो परमात्म तत्व का बोध स्वत: आ जाएगा। हम सभी प्राणीमात्र में परमात्मा को देखें तो भेदभाव समाप्त हो जाएगा। संसार से कलह और क्लेष समाप्त हो जाएगा।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने २१ जून को योग दिवस मनाए जाने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि प्राचीनकाल से भारत विश्व का मार्गदर्शन करता आया है। हम सब के लिए गर्व की बात है कि यहाँ के योग को विश्व ने अंगीकार किया है। इसलिए इस दिन को महोत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए।
प्रेषक: मीडिया प्रभाग,
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय
सत्यम शिवम सुन्दरम आध्यात्मिक मेला, उज्जैन
फोन: ०७३४-२९७०००२
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उज्जैन में महाकाल लोक लोकार्पण कार्यक्रम मैं संतो के साथ ब्रह्माकुमारी बहनों का सम्मान-

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