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आत्म अनुभूति और परमात्म अनुभूति में छिपा है खुशी का राज – ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी/सुबह की शुरूआत प्रेरक भजनों और सकारात्मक विचारों से करें – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
प्रेस विज्ञप्ति क्र. १:
आत्म अनुभूति और परमात्म अनुभूति में छिपा है खुशी का राज – ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी
उज्जैन, ८ मई : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र बडऩगर रोड में आयोजित राजयोग अनुभूति शिविर में प्रवचन करते हुए ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने कहा कि मनुष्य खुशी को बाहरी चीजों में ढूँढता है। जबकि खुशी उसके ही पास है। यह आन्तरिक अनुभूति है। इसे अनुभव करने के लिए आत्म अनुभूति और परमात्म अनुभूति करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि संकल्प शक्ति बहुत बड़ा खजाना है। हमारा एक संकल्प किसी को खुशी दे सकता है तो वहीं वह किसी की खुशी छीन भी सकता है। मन ही वह शक्ति है जो खुशी को महसूस करती है। जिसे न जानने के कारण मनुष्य उस पर नियंत्रण नहीं रख पाता और तनावग्रस्त हो जाता है। मन में खुशी और शान्ति होने से इसका असर शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। विभिन्न प्रयोगों से यह सिद्घ हो चुका है कि मन की अवस्था का रोगों के साथ गहरा सम्बन्ध है।
ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने कहा कि मन और बुद्घि से परमात्मा को याद करना ही राजयोग कहलाता है। राजयोग अर्थात आत्मा का सम्बन्ध परमात्मा से जोडऩा। इसका विपरीत शब्द है वियोग अर्थात बिछुडऩा। चूंकि गुणों और शक्तियों का अविनाशी स्त्रोत परमात्मा ही हैं अत: उनकी याद से हमें न सिर्फ सच्ची खुशी मिलती है वरन्ï हमारे जीवन से रोग और शोक भी मिट जाते हैं।
ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने वर्तमान युग के महत्व को स्पष्टï करते हुए आगे कहा कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग को तो सभी लोग जानते हैं किन्तु कलियुग और सतयुग के मध्य एक और छोटा सा युग होता है जिसे पुरूषोत्तम संगम युग कहते हैं, इसका किसी को भी पता नही है। यह पुरूषोत्तम संगमयुग ही वह कल्याणकारी युग है जबकि परमपिता परमात्मा गीता में किए गए अपने वायदे के अनुरूप हम मनुष्य आत्माओं को आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग के द्वारा पुरूषोत्तम बनाने अर्थात पुन: देवपद की प्राप्ति कराने के लिए इस धरा पर अवतरित होते हैं। अभी वही कल्याणकारी पुरूषोत्तम संगमयुग चल रहा है।
प्रेस विज्ञप्ति क्र. २:
सुबह की शुरूआत प्रेरक भजनों और सकारात्मक विचारों से करें – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
उज्जैन, ८ मई : वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कहा कि सुबह की शुरूआत सीधे अखबार पढऩे से नही करके कोई प्रेरणाप्रद गीत, भजन या सुवाक्य से करना चाहिए ताकि मन को सकारात्मक विचार मिल सके । हमारा मन उस चीज को अच्छी तरह से ग्रहण करता है जो कि हम सुबह सुबह सबसे पहले उसे देते हैं। बाद में समाचार जानने के लिए अखबार आदि पढ़ें।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी सिंहस्थ सांस्कृतिक एवं साहित्य समिति व रोटरी क्लब की ओर से कालिदास अकादमी के अभिरंग नाट््यगृह में आयोजित ज्ञानक्षिप्रा व्याख्यानमाला में बोल रही थीं। इसके अन्तर्गत हर रोज सिंहस्थ में पधारे अलग-अलग सन्तों को अपने विचार रखने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
मंजू दीदी ने आगे कहा कि हर पल खुश रहना हमारी अपनी सोच पर निर्भर करता है। भविष्य के बारे में चिन्तन अवश्य करें लेकिन चिन्ता नही करें। चिन्ता करने से हमारी एकाग्रता कम होती है और सोचने की शक्ति नष्टï हो जाती है। उन्होने चिन्ता को आधुनिक जीवन की सबसे त्रासद बिमारी बतलाते हुए कहा कि इससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप हमारा शरीर छोटी-छोटी बिमारियों का भी सामना करने में असमर्थ हो जाता है। चिकित्सकों ने अनुसंधान के बाद यह सिद्घ किया है कि जो व्यक्ति बहुत समय तक चिन्ता करता है, धीरे-धीरे उसकी स्मरण शक्ति घटती जाती है। उन्होने कहा कि व्यस्त रहें, मस्त रहें लेकिन अस्त व्यस्त न रहें। मन को खाली नहीं रहने दें, जब मन खाली रहता है तब उसमें व्यर्थ विचार पैदा होते हैं।
इस अवसर पर कालिदास अकादमी के पूर्व अध्यक्ष शशिरंजन अकेला, समिति के सदस्य रविप्रकाश लंगर, डॉ. जी. के. नागर आदि ने अतिथियों को शाल और श्रीफल देकर सम्मान किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में रोटरी क्लब और कालिदास अकादमी के लोग उपस्थित थे।
प्रेषक: मीडिया प्रभाग,
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय
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