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1.भौतिक वस्तुओं से स्थायी खुशी नहीं मिल सकती… ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी / 2. जनता बेहिचक और निश्चिन्त होकर सिंहस्थ में आए … सन्तोष वर्मा, अतिरिक्त जिलाधीश / 3. भारत परमात्मा की अवतरण भूमि है: स्वामी निरंजन महाराज
प्रेस विज्ञप्ति क्र. १:
भौतिक वस्तुओं से स्थायी खुशी नहीं मिल सकती… ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी
उज्जैन ४ मई : वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने कहा कि मनुष्य खुशी को भौतिक पदार्थों में ढूँढ रहे हैं। भौतिक पदार्थों से स्थायी खुशी नही मिल सकती है। जीवन में स्थायी खुशी राजयोग से ही प्राप्त की जा सकती है।
ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र बडऩगर रोड में आयोजित राजयोग अनुभूति शिविर में प्रचवन कर रही थीं। उन्होंने आगे कहा कि किसी भी मनुष्य के जीवन में खुशी और शान्ति उसकी सबसे बड़ी सम्पत्ति होती है। जिसे पाने के लिए वह पूरी जिन्दगी प्रयास करता है। इसीलिए कहा जाता है कि खुशी जैसी खुराक नहीं। जब मनुष्य की खुशी भौतिक वस्तुओं पर आधारित होती है तो वह खुशी अल्पकालिक हो जाती है।
उन्होंने कहा कि जब तक यह नहीं जानें कि मन क्या चीज है? खुशी की अनुभूति कौन करता है? खुशी को महसूस करने वाली चीज कौन सी है? तब तक हम खुशी का अनुभव नहीं कर पाएंगे। हम सारे दिन में अनेक बार मेरा हाथ, मेरी आँखें, मेरा मन आदि शब्दों का प्रयोग करते हैं क्योंकि हम उनके मालिक हैं। मन ही वह शक्ति है जो खुशी को महसूस करती है। जिसे न जानने के कारण मनुष्य उस पर नियंत्रण नहीं रख पाता और तनावग्रस्त हो जाता है।
ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने बतलाया कि मनुष्य खुशी को बाहरी चीजों में ढूँढता है। खुशी उनके ही पास है, उसे अनुभव करने के लिए आत्म अनुभूति और परमात्म अनुभूति करने की जरूरत है। दरअसल विचारशक्ति का ही नाम मन है। संकल्प शक्ति बहुत बड़ा खजाना है। एक संकल्प किसी को खुशी दे सकता है तो वहीं एक संकल्प किसी की खुशी छिन भी सकता है।
उन्होंने कहा कि आत्म अनुभूति और परमात्म अनुभूति राजयोग से ही की जा सकती है। इसे राजयोग इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह हमको कर्मेन्द्रियों का राजा बनाता है। स्वयं पर नियंत्रण करना सिखलाता है। इससे आत्म विश्वास भी बढ़ता है। मन में खुशी और शान्ति होने से इसका असर शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। विभिन्न प्रयोगों से यह सिद्घ हो चुका है कि मन की अवस्था का रोगों के साथ गहरा सम्बन्ध है।
प्रेस विज्ञप्ति क्र. २:
प्रशासनिक व्यवस्था अच्छी, स्नान आदि में परेशानी नहीं
जनता बेहिचक और निश्चिन्त होकर सिंहस्थ में आए … सन्तोष वर्मा, अतिरिक्त जिलाधीश
उज्जैन ४ मई : उज्जैन के अतिरिक्त जिलाधीश सन्तोष वर्मा ने जनता से अपील की है कि वह बेहिचक और निश्चिन्त होकर सिहस्थ कुम्भ में आकर सन्तों के दर्शन और पवित्र क्षिप्रा में स्नान करके पुण्य अर्जित करे। शासन ने उनके लिए यहाँ पर हर प्रकार की समुचित व्यवस्था की हुई है।
श्री वर्मा प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सिंहस्थ में दत्त अखाड़ा क्षेत्र बडऩगर रोड में आयोजित सत्यम शिवम सुन्दरम मेले का अवलोकन करने के बाद ब्रह्माकुमारीज के चैनल पीस ऑफ माइण्ड के संवाददाता से बात कर रहे थे। उनके साथ पुलिस अधीक्षक धनजंय शाह भी उपस्थित थे। श्री सन्तोष वर्मा ने कहा कि जनता की सुरक्षा सहित अन्य व्यवस्था के लिए प्रशासन पिछले कई माह से लगा हुआ है। जिसके फलस्वरूप जनता को यहाँ सभी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं।
उन्होंने सिंहस्थ को अद्भुत और अलौकिक समागम बतलाते हुए कहा कि सिहस्थ का अवसर बारह वर्षों में एक बार ही आता है। इसलिए उन्होंने सभी जनता से अपील करते हुए कहा कि आप स्वयं भी आएं और रिश्तेदार व मित्रों को भी लावें। पवित्र स्नान करने में जनता को कोई कठिनाई नहीं होगी।
उन्होंने बतलाया कि प्रशासनिक व्यवस्था में मानसिक शान्ति के लिए मेडिटेशन बहुत मददगार है किन्तु सिंहस्थ की व्यस्तता के कारण अभी वह इस पर उतना ध्यान नही दे पा रहे हैं। फिर भी सन्तों से बात करते समय वह उनके सम्मान को ध्यान में रखते हुए शान्ति पूर्वक बात करने का ध्यान रखते हैं। उन्होंने बतलाया कि वह नियमित रूप से टेलीविजन पर ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी का कार्यक्रम देखते हैं। उन्होंने मेले की सफलता के लिए शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि सत्यम शिवम सुन्दरम मेला लोगों को अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाने में सफल हो, ऐसी अपेक्षा है। साथ ही उन्होंने ईश्वर का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि वह अपने को खुशनसीब समझते हैं कि उन्हें सिंहस्थ में लोगों की सेवा करने का अवसर मिला।
भारत परमात्मा की अवतरण भूमि है: स्वामी निरंजन महाराज
आज सत्यम शिवम सुन्दरम मेले का अवलोकन करने के बाद पुरूषार्थ आश्रम हरिद्वार के महामण्डलेश्वर स्वामी निरंजन महाराज ने कहा कि भारत एक धर्म प्रधान देश रहा है। यहाँ परमात्मा का अवतरण होता है। अन्य देश में परमात्मा का अवतरण नहीं होता है। यहाँ पूजा और स्नान की परम्परा है, विधि है।
उन्होंने कहा कि उज्जैन महाकवि कालीदास की भूमि है। ज्ञान, वैराज्ञ और श्रृंगार की रचना यहाँ हुई है सिंहस्थ में दुनिया भर से लोग यहाँ आए हैं, उनके बीच इस संस्थान ने सभी धर्मों का समन्वय करके सराहनीय कार्य किया है।
उन्होंने मेले में उमड़ रही अपार भीड़ को देखकर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि वह ब्रह्माकुमारी संस्थान के दुनिया भर में फैले सेवाकेन्द्रों में जाते हैं। यह संस्था देश को एक सूत्र में पिरोकर शान्ति का सन्देश देने का अच्छा कार्य कर रही है।
प्रेषक: ब्रह्माकुमार हीरेन्द्र भाई
मीडिया प्रभाग, प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज,
सत्यम शिवम सुन्दरम मेला, उज्जैन सम्पर्क: ९४२५५१९५१४
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