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1. दोहरी जिन्दगी जीने से समस्याएं पैदा हो रही हैं: ब्रह्माकुमारी समिता दीदी/ 2. जीवनयात्रा को परमात्मा तक पहुँचाने का लक्ष्य हो : साध्वी रंजना देवी
प्रेस विज्ञप्ति १:
दोहरी जिन्दगी जीने से समस्याएं पैदा हो रही हैं: ब्रह्माकुमारी समिता दीदी
उज्जैन, १५ मई: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र बडऩगर रोड में आयोजित राजयोग अनुभूति शिविर में ब्रह्माकुमारी समिता दीदी ने कहा कि आज हरेक मनुष्य दोहरी जिन्दगी जी रहा है। जो वह नहीं है, वह दिखना चाहता है और जो वह दिखना चाहता है, वह अन्दर से बनना नहीं चाहता है। हमारी समस्याओं का मूल कारण यही दोहरी जिन्दगी जीना है, हम अपने अन्दर की गरीबी को बाह्यï अमीरी से ढकना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दिन प्रतिदिन मनुष्य की बढ़ रही इच्छाएं चिन्ता और तनाव पैदा कर रही हैं। यदि हम सफल जीवन जीना चाहते हैं तो जीवन के प्रति हमें अपने दृष्टिïकोण को बदलना होगा।
ब्रह्माकुमारी समिता दीदी ने जीवन को एक साहसपूर्ण यात्रा की तरह बतलाते हुए कहा कि आज का मनुष्य एक ऐसे पथिक के समान है, जिसे अपनी मंजिल का ही ज्ञान नहीं है। पथिक को मंजिल का ज्ञान न होने पर रास्ते में पड़ा मील का पत्थर उसे रास्ता बतलाता है। किन्तु मनुष्यों ने तो नैतिक एवं मानवीय मूल्य रूपी मील के पत्थरों को ही उखाड़ फेंका है। और यह गलत धारणा बना ली है कि नैतिक मूल्यों को साथ लेकर कोई व्यक्ति जीवन में सफल हो ही नहीं सकता। उन्होंने बतलाया कि यदि जीवन की यात्रा को सफल बनाना है तो हमारे पास तीन बातों का ज्ञान होना जरूरी है – जीवन जीने की कला, जीवन जीने का ज्ञान और मूल्यों पर आधारित जीवन।
उन्होंने कहा कि धन संचय का अर्थ है भविष्य के प्रति धनाभाव का डर। पृथ्वी का सबसे शक्तिशाली प्राणी मनुष्य सबसे डरपोक प्राणी भी है, जो उसकी धन संचय की वृत्ति से स्पष्ट दिखलाई देता है। जो मनुष्य धन-संचय के पीछे भाग रहा है वह ईश्वरीय ज्ञान को अनुभव में नहीं पा सकता। पक्षियों में संचय की वृत्ति बिल्कुल नहीं होती और आज तक किसी पक्षी को भूखे मरते नहीं देखा गया है। पशु भी संचय नहीं करते । यह एक कुदरती विधान है कि जो प्राणी अपने भविष्य को ईश्वर व कुदरत के हवाले करते हुए निष्काम कर्म करता है, उसके भविष्य की जरूरतें ईश्वर व कुदरत स्वयं पूरा करते हैं। जिन साधु संतो ने अपना जीवन प्रभु को अर्पित कर दिया उनके जीवन की बागडोर प्रभु अपने हाथों में ले लेते हैं और उनका जीवन खुशियों और दिव्यता से भर जाता है।
प्रेस विज्ञप्ति २:
जीवनयात्रा को परमात्मा तक पहुँचाने का लक्ष्य हो : साध्वी रंजना देवी
उज्जैन, १५ मई: सिंहस्थ में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र में बडऩगर रोड पर स्थापित सत्यम शिवम सुन्दरम आध्यात्मिक मेला एवं चैतन्य देवियों की झाँकी का अवलोकन करने साध्वी सुश्री रंजना देवी पधारीं। वह श्री अखण्ड आश्रम उत्तरकाशी (हिमाचल) की महामण्डलेश्वर हैं।
साध्वी सुश्री रंजना देवी ने झाँकी का अवलोकन करने के बाद कहा कि हम सभी अपने लक्ष्य को पहचानें। जीवनयात्रा को परमात्मा तक पहुँचाने का पुरूषार्थ करें। ताकि मनुष्य जन्म सार्थक हो सके। उन्होंने बतलाया कि हमारे मन में अच्छे कर्म करने की दृढ़ इच्छा होनी चाहिए। हमारा प्रयास हो कि हमारे कर्मों से कभी किसी को दु:ख न पहुँचे। सदैव सुख देने की भावना हो। मनुष्य जन्म अत्यन्त दुर्लभ है। इसे पहचानकर परमात्म तत्व की ओर उन्मुख हो। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्थान की बहनें लोगों को परमात्मा की ओर आकर्षित करके बहुत ही सराहनीय कार्य कर रही हैं।
उन्होंने २१ जून योग दिवस के लिए अपना सन्देश देते हुए कहा कि गणित की भाषा में तो योग का सीधा अर्थ जोड़ होता है। किन्तु अध्यात्म की भाषा में योग का मतलब है संसार से नाता तोडक़र परमात्मा की ओर जोड़ना। उन्होंने आशा प्रकट की कि इस दिन अधिक से अधिक लोग परमात्म तत्व की ओर उन्मुख होंगे।
प्रेषक: मीडिया प्रभाग,
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय
सत्यम शिवम सुन्दरम मेला परिसर, दत्त अखाड़ा क्षेत्र,
उज्जैन सम्पर्क: ९४२५५१९५१४
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