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राजयोग शिविर का आज पाँचवा दिन
प्रेस विज्ञप्ति १:
राजयोग शिविर का आज पाँचवा दिन
स्वर्ग और नर्क इसी दुनिया में होते हैं …….. ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी
उज्जैन, ०२ मई: वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने कहा कि स्वर्ग कोई ऊपर आसमान में और नर्क कोई धरती के नीचे स्थित नही है। वरन्ï यह धरती ही सतयुग और त्रेतायुग में स्वर्ग तथा द्वापर और कलियुग में नर्क कहलाती है। कुछ लोग समझते हैं कि स्वर्ग और नर्क दोनो साथ-साथ चलते हैं, इस दुनिया में कोई धनवान व्यक्ति है तो उसके लिए स्वर्ग है तथा कोई गरीब है तो उसके लिए नर्क है, किन्तु नही जैसे रात और दिन इकट्ïठे नही हो सकते। वैसे ही स्वर्ग और नर्क दोनो एक साथ नहीं हो सकते। जब स्वर्ग है तो अमीर और गरीब सभी के लिए स्वर्ग है, और जब नर्क है तो सभी के लिए नर्क है। उन्होने उदाहरण देते हुए कहा कि रात्रि में अगर कोई बिजली जलाकर कार्य कर रहा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उस व्यक्ति के लिए दिन हो गया है।
ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा बडऩगर रोड पर सत्यम शिवम सुन्दरम आध्यात्मिक मेले में आयोजित राजयोग अनुभूति शिविर के पाँचवे दिन प्रवचन कर रही थीं। उन्होने कहा कि यह परम कल्याणकारी पुरूषोत्तम संगमयुग है, यह ही वह समय है जब परपिता परमात्मा गीता में किए गए अपने वायदे के अनुरूप इस भारत भूमि पर अवतरित होते हैं तथा आध्यात्मिक ज्ञान ओर राजयोग की शिक्षा देकर मनुष्य मात्र को निर्विकारी और पवित्र बनाने का दिव्य कर्तव्य करते हैं।
ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने आगे बतलाया कि हरेक मनुष्य अपने कर्मों के लिए स्वयं ही उत्तरदायी होता है। अत: यह कहना ठीक नही है कि इस दुनिया में जो कुछ हो रहा है, वह सब ईश्वर ही करा रहा है। क्योंकि यदि सभी कुछ ईश्वर ही करा रहा होता तो कर्मों का फल सुख और दु:ख के रूप में मनुष्यों को नहीं भोगना पड़ता। परमपिता परमात्मा श्रेष्ठï कर्म करने की शिक्षा अवश्य देते हैं लेकिन उसे करना या नही करना यह मनुष्यों के विवेक पर निर्भर करता है। चूंकि इन्सान के द्वारा विवेकानुसार कर्म किया जाता है, उसे करने के लिए कोई बाध्यता नही होती है अत: कर्मों का फल अर्थात सुख-दु:ख भी उसे ही भोगना पड़ता है।
वर्तमान समय का महत्व बतलाते हुए उन्होने कहा कि अभी विश्व इतिहास का अत्यन्त महत्वपूर्ण समय चल रहा है। सारे कल्प के लिए भाग्य बनाने का समय अभी है। अत: अब समय को व्यर्थ बातों में व्यतीत नही करते हुए श्रेष्ठï चिन्तन करें, परमात्मा चिन्तन करें, तब ही जीवन सफल होगा। राजयोग के नियमित अभ्यास से सारे वातावरण में शुभ और पवित्र प्रकम्पन फैलते हैं जिससे अन्य दु:खी आत्माओं को भी शान्ति की अनुभूति होती है। अन्त में उन्होने कमेन्ट्री के द्वारा सभी प्रभुप्रेमी आत्माओं को राजयोग का व्यवहारिक अभ्यास कराया।
प्रेस विज्ञप्ति २:
जीवन का सच्चा सुख भगवद प्राप्ति में : आचार्य चित्तप्रकाशानन्द
उज्जैन, ०२ मई: वृन्दावन सांख्य योग के वेदान्ताचार्य आचार्य चित्तप्रकाशानन्द गिरी महाराज ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र में सत्यम शिवम सुन्दरम आध्यात्मिक मेले का अवलोकन करने के बाद कहा कि जीवन का सच्चा सुख भगवद प्राप्ति में है। जिसे न जाने के कारण लोग सुख को बाहरी वस्तुओं में ढूंढ रहे हैं। प्रभु का आनन्द मनुष्य को मिल जाए तो समाज से आतंकवाद और नशाखोरी की समस्या समाप्त हो सकती है। इसलिए हमें अधिक से अधिक लोगों को अध्यात्म की ओर आकर्षित करने का पुयास करना होगा। इसमें राजयोग मददगार सिद्घ हो सकता है। उन्होंने राजयोग की महिमा करते हुए कहा कि राजयोग सर्वश्रेष्ठ योग है। यह एक वैचारिक प्रक्रिया है अत: यह सभी जाति और धर्म के लोगों के लिए सुलभ है।
आज ही फैजपुर महाराष्ट्र के महामण्डलेश्वर जनार्दन हरि महाराज, चित्रकूट हरिद्वार के महन्त राम किशन और सन्त गुरू मानसिंह के साथ मेला देखने के लिए पधारे।
जनार्दन हरि महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति को गरिमामय स्थान प्राप्त है। मातृशक्ति माँभगवती का ही रूप होती हैं। ब्रह्माकुमारी बहनों ने चैतन्य देवियों की झाँकी का प्रदर्शन कर एक ही जगह बैठे सारी देवियों का दर्शन करा दिया। झाँकी के माध्यम से आदि शक्ति की गरिमामय और अलौकिक दिव्य शक्तियों को दिखाया गया है। इसके लिए सारे सन्त समाज की ओर से उन्होंने धन्यवाद देते हुए कहा कि झाँकी के माध्यम से शक्ति, स्नेह और संगठन को आगे बढ़ाने का कार्य किया गया है। इसे देखकर महिलाएँ राजयोग का अभ्यास कर अपनी गौरवमयी आध्यात्मिक शक्तियों को जागृत करने और स्वयं के उत्थान के लिए प्रयास करेंगी।
प्रेषक: ब्रह्माकुमार हीरेन्द्र भाई
मीडिया प्रभाग, प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज,
सत्यम शिवम सुन्दरम मेला, उज्जैन सम्पर्क: ९४२५५१९५१४
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उज्जैन में महाकाल लोक लोकार्पण कार्यक्रम मैं संतो के साथ ब्रह्माकुमारी बहनों का सम्मान-

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