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भारत देश अति प्राचीन और अविनाशी खण्ड है … ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी/2.सन्तों का कार्य वैभव प्रदर्शन नहीं अपितु ईश्वर का दर्शन कराना है… स्वामी प्रज्ञानन्द, महामण्डलेश्वर

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प्रेस विज्ञप्ति १.

ब्रह्माकुमारी संस्थान में राजयोग शिविर का चौथा दिन

भारत देश अति प्राचीन और अविनाशी खण्ड है … ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी

उज्जैन, ३० अप्रेल: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र में सत्यम शिवम सुन्दरम आध्यात्मिक मेले के अन्तर्गत रोजाना सुबह ७ बजे राजयोग अनुभूति शिविर आयोजित किया जा रहा है। जिसे सुनने के लिए काफी लोग एकत्रित होते हैं।

आज आयोजित राजयोग अनुभूति शिविर के चौथे दिन सृष्टि के आदि, मध्य और अन्त का दिग्दर्शन’ विषय पर बोलते हुए ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी ने कहा कि विश्व के मानचित्र पर हमारा भारत देश अति प्राचीन और अविनाशी खण्ड है क्योंकि इसका इतिहास पांच हजार वर्ष पुराना है। किसी भी अन्य देश का इतिहास इतना पुराना और गौरवशाली नही है।

ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी ने आगे बतलाया कि मनुष्य आत्माओं के गुण और कर्तव्यों के आधार पर विश्व के इतिहास को चार युगों में बांटा गया है। इसमें सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग चार खण्ड हैं तथा प्रत्येक की अवधि बारह सौ पचास वर्ष है। सतयुग और त्रेतायुग इस संसार का सतोप्रधान अर्थात स्वर्णिम काल है। जहॉं पर दिव्यगुणों से सम्पन्न होने के कारण मनुष्य आत्माएं देवी और देवता कहलाते थे। उस समय को ही स्वर्ग, बैकुण्ठ अथवा रामराज्य कहकर आज तक याद किया जाता है। धीरे-धीरे पुनर्जन्म के चक्र में आकर मनुष्य आत्माएं अपनी निजी पहचान को भूलकर स्वयं को देह समझने लग जाते हैं तथा देह अभिमान के फलस्वरूप काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि विकारों के वशीभूत होकर दु:खी और अशान्त हो जाते हैं। जिसके परिणामस्वरूप द्वापरयुग से भक्ति मार्ग का प्रादुर्भाव होता है।

उन्होंने कहा कि सबसे पहले एक निराकार शिव की ही पूजा होती थी किन्तु बाद में भक्ति भी तमोप्रधान हो गई। लोग अनेकानेक देवी-देवताओं की पूजा करने लगे। कलियुग के अन्त में जड़ तत्वों जैसे पेड़ पौधों की भी पूजा होने लगी। भक्ति में श्रद्घा का स्थान स्वार्थ ने ले लिया। सुखमय सृष्टिï होने के कारण सतयुग और त्रेतायुग को ब्रह्मा का दिन तथा द्वापर और कलियुग को अज्ञान अन्धकार छाया हुआ होने के कारण ब्रह्मा की रात्रि कहा जाता है।

ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी ने बतलाया कि इस दुनिया की आबादी धीरे-धीरे बढ़ रही है, इसका मतलब है कि जरूर कहीं पर आत्माओं का निवास भी होना चाहिए, जहॉं से समय-समय पर आत्माएं इस भू मण्डल पर आती जा रही हैं। उन्होने बतलाया कि सूर्य, चांद और तारागण से भी ऊपर एक और दुनिया है जहॉं पर लाल रंग का सुनहरा प्रकाश व्याप्त है, जिसे छठा ब्रह्मï तत्व भी कहते हैं, इसलिए इस लोक को ब्रह्मïलोक, परमधाम, शान्तिधाम आदि आदि नामों से जाना जाता है। शरीर छोडऩे के बाद मनुष्यात्माएं यहॉं पर ही निवास करती हैं। परमात्मा भी वहॉं ही रहते हैं तथा अतिधर्मग्लानि के समय धरा पर अवतरित होते हैं, इसलिए परमात्मा को जब कोई याद करते हैं तो न चाहते हुए भी सिर ऊपर की ओर उठ जाता है।

उन्होने बतलाया कि जैसे आम के बीज से आम का ही पौधा उत्पन्न होता है, ठीक उसी प्रकार शरीर छोडऩे के पश्चात मनुष्य भी मनुष्य के रूप में ही जन्म लेता है, अपने कर्मों का फल भोगने के लिए उसे पशु योनि में जाने की जरूरत नही होती। अगर मनुष्य को कर्मों का फल भोगने के लिए पशु बनना पड़ता तो आज दुनिया में मनुष्यों की जनसंख्या सिमटकर रह जाती, अधिकांश मनुष्य पशु योनि में चले जाते।

प्रेस विज्ञप्ति २:

सन्तों का कार्य वैभव प्रदर्शन नहीं अपितु ईश्वर का दर्शन कराना है… स्वामी प्रज्ञानन्द, महामण्डलेश्वर

उज्जैन, ३० अप्रैल: अन्तर्राष्ट्रीय प्रज्ञा मिशन नई दिल्ली के संस्थापक एवं आवाहन अखाड़ा के महामण्डलेश्वर स्वामी प्रज्ञानन्द ने अपने आशीर्वचन में कहा कि सन्तों का काम वैभव पदर्शन करना नहीं है। बल्कि सन्तों का काम है ईश्वर का दर्शन कराना और लोगों को सन्मार्ग का रास्ता बतलाना है।

स्वामी प्रज्ञानन्द प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा दत्त अखाड़ा क्षेत्र में सत्यम शिवम सुन्दरम मेले का अवलोकन करने के बाद अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सन्तों का जीवन सात्विक और सादगी पूर्ण होना चाहिए। हमारा काम वैभव प्रदर्शन करना नहीं बल्कि सादगीपूर्ण जीवन यापन कर ईश्वर की साधना करना है। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि आसक्ति को खत्म करने से शक्ति और शान्ति मिलेगी। उन्होंने कहा कि कुम्भ सन्तों के लिए नहीं है किन्तु सन्त जहाँ चले जाते हैं, वहीं कुम्भ बन जाता है। उन्होंने राजनेता और सन्त में अन्तर बतलाते हुए कहा कि राजनेता आज हैं, कल नहीं रहेंगे। लोग उनके नाम के आगे भूतपूर्व लिख देते हैं लेकिन सन्त हमेशा सन्त ही रहता है। उन्होंने बतलाया कि जैसा अन्न होगा वैसा हमारा मन होगा। जैसा पानी होगा वैसी वाणी  होगी। इसलिए लोगों को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए ताकि हमारा अन्त:करण शुद्घ रहे। उन्होंने मेले की प्रशंसा करते हुए कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्थान समाज में सात्विकता का प्रचार कर बहुत अच्छा कार्य रहा है। चैतन्य देवियों की झाँकी का प्रदर्शन आत्म साधना और शक्ति की साधना का प्रतीक है।

आज ही मेले का अवलोकन करने के लिए जूना अखाड़ा के महामण्डलेश्वर द्वय बहन मैत्रेयी गिरी और बहन हेमा सरस्वती भी पधारीं। उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आदि शक्तियाँ और ईश्वरीय गुण हम सभी के अन्दर विद्यमान हैं। सत्यम शिवम सुन्दरम आध्यात्मिक मेला और चैतन्य देवियों की झाँकी का प्रदर्शन कोई मनोरंजन के लिए नहीं हो रहा है। बल्कि आध्यात्मिक सन्देश देने के लिए किया जा रहा है। इन ब्रह्माकुमारी बहनों को चैतन्य देवियों के रूप में देखकर अपने अन्त:करण को शुद्घ करें। जो धारण करने लायक गुण हैं उन्हें धारण करें।

प्रेषक: मीडिया प्रभाग,

प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज, सत्यम शिवम सुन्दरम मेला, उज्जैन

सम्पर्क: ९४२५५१९५१४

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Brahma kumaris ujjain

उज्जैन में महाकाल लोक लोकार्पण कार्यक्रम मैं संतो के साथ ​ब्रह्माकुमारी बहनों का सम्मान-

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उज्जैन में ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के विस्तारीकरण में महाकाल लोक का नव निर्माण किया गया।
श्री महाकाल लोक का लोकार्पण कार्यक्रम देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ।
देश भर से 200 से अधिक ओजस्वी संतो की गरिमामई उपस्थिति रही। जिसमे ब्रह्माकुमारी संस्था को भी विशेष आमंत्रित किया गया। इंदौर जोन की प्रशासनिक निर्देशिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी जी एवं उज्जैन क्षेत्र की निर्देशिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी उषा दीदी को विशेष अतिथि के तौर पर मध्य प्रदेश पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने सम्मानित किया। साथ में ब्रम्हाकुमारी अनीता बहन (इंदौर)ब्रम्हाकुमारी उषा बहन(इंदौर), ब्रह्मा कुमारी मंजू बहन (उज्जैन)का भी सम्मान किया गया।
ब्रम्हाकुमारी बहनों ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी से मिलकर परमात्म संदेश दिया। देश भर के विशिष्ट साधु-संतों महामंडलेश्वर शांति स्वरूपानंद जी, बाल योगी उमेश नाथ जी, आचार्य अवधेशानंद जी, ऋषिकेश के चिदानंद सरस्वती जी, महामंडलेश्वर नारदानंद जी, सिंधी समाज के आतम दास जी , रामेश्वर दास जी, आदी अनेक संतों से मुलाकात हुई।       जिन के कुछ फोटो अटैच है
1.महामंडलेश्वर साधुओं से मिलते हुए ब्रह्माकुमारी दीदीया।                                      
2.माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी(मध्य प्रदेश) एवं महामंडलेश्वर बाल योगी उमेश नाथ जी ,राजयोगिनी हेमलता दीदी जी(निर्देशिका इंदौर),उषा दीदी जी(संचालिका उज्जैन)अनीता दीदी, उषा दीदी मंजू दीदी।,            
3.मध्य प्रदेश पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्रीमती उषा ठाकुर के साथ ब्रह्माकुमारी बहने. 
4.राजयोगिनी हेमलता दीदी जी का सम्मान करते हुए मध्य प्रदेश पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्रीमती उषा ठाकुर.                                              
5.वाल्मीकि धाम के महामंडलेश्वर बाल योगी स्वामी उमेश नाथ जी के साथ ब्रह्माकुमारी हेमा दीदी, ब्रम्हाकुमारी उषा दीदी, अनिता बहन, उषा बहन,मंजू बहन.                                  
6.उज्जैन सिंधी समाज के मुख्य अलग धाम मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी आतम दास जी महाराज ब्रह्माकुमारी मंजू बहन से चर्चा करते हुए      
7.संत सम्मान के बाद बहने
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Doctors day celebration ujjain Rishinagar

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प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय ऋषि नगर उज्जैन द्वारा 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया गया। शिव दर्शन धाम के हारमनी हॉल में आयोजित कार्यक्रम में शहर में सेवारत डॉक्टर का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में शहर के जाने-माने डॉक्टर्स सम्मिलित हुए।
1. डॉक्टर सुशील गुप्ता
 ( एम.डी मेडिसिन ,डायरेक्टर एस एस हॉस्पिटल)
2. डॉक्टर राजेंद्र बंसल
( ई.एन.टी स्पेशलिस्ट ,डायरेक्टर संजीवनी हॉस्पिटल)
3. डॉक्टर जया मिश्रा (गायनेकोलॉजिस्ट ,डायरेक्टर जे.के नर्सिंग होम एंड स्टैड फोर्ड स्कूल)
4. डॉक्टर श्रीपाल देशमुख (चाइल्ड स्पेशलिस्ट, डायरेक्टर देशमुख हॉस्पिटल)
5. डॉक्टर भोजराज शर्मा (आर.एम.ओ सिविल हॉस्पिटल उज्जैन)
6. डॉक्टर महेश मरमट
(ऑर्थो स्पेशलिस्ट)
7. विकास उथरा
(चेस्ट स्पेशलिस्ट्स)
8.डॉ निलेश व्यापारी
   (होम्योपैथिक)
9.डॉक्टर राजेश मेहता
    (रेडियोलॉजिस्ट)
10.डॉक्टर रुचि उतरा
     (डेंटिस्ट).
11. डॉ विमल गर्ग
     (एम.डी मेडिसिन)
  डॉक्टर जया मिश्रा ने कहा मरीज और डॉक्टर का संबंध विश्वास पर टिकता है। मरीज के विश्वास का ही फल है कि डॉक्टर उसका इलाज कर पाता है।
 डॉक्टर महेश मरमट ने कहा डॉक्टर को भगवान ना समझे इंसान है इंसान ही रहने दे गलती उससे भी होती हैं।
डॉक्टर सुशील गुप्ता जी ने कहा फेमिली डॉक्टर वह ब्रिज है जो मरीज और स्पेशलिस्ट डॉक्टर को जोड़ता है। उसकी भूमिका बहुत बड़ी होती है।
डॉक्टर श्रीपात देशमुख जी ने कहा आज के समय में फिजिकल हेल्थ, मेंटल हेल्थ और इमोशनल हेल्थ तीनों का ही ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
डॉक्टर भोजराज शर्मा जी ने कहा ब्रह्मा कुमारीज माउंट आबू में मेडिकल कॉन्फ्रेंस माइंड बॉडी मेडिसिन आयोजित किया जाता है ।जिसमें हम यह समझते हैं कि किसी भी बीमारी के इलाज में पहली भूमिका मन की फिर शरीर और अंत में मेडिसिन की है। राजयोग के निरंतर अभ्यास से हमारा मन शक्तिशाली बनता है शांति और धैर्य चित भी।
डॉक्टर विमल गर्ग जी ने फैमिली डॉक्टर की आवश्यकता पर प्रकाश डाला साथ ही अपने अनुभव से उन्होंने कहा राजयोग से मन में शीतलता,शांति और संतुष्टता की प्राप्ति होती है।
उज्जैन सेवा केन्द्र प्रभारी राजयोगिनी उषा दीदी जी के कर कमलों द्वारा सभी डॉक्टर्स को सम्मान पत्र एवं शॉल ओढ़ाकर  सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने किया।
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23 March Brahma Kumaris Ujjain : Blood donation Camp

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